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public finance
लोक वित्त वर्तमान समय में देश के आर्थिक क्रियाकलापों में सरकार की भूमिका बढ़ती जा रही है सरकारी राजकोषीय उपकरणों के माध्यम से आर्थिक किया क्रियाओं का नियमन करते हैं तथा जनहित कार्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देती है सरकार आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष भागीदारी निभाने के साथ ही साथ राजकोषीय नीति के माध्यम से राष्ट्रीय उत्पादन एवं रोजगार पर वांछित प्रभाव डालने का अवांछित प्रभाव को रोकने का कार्य करती है बजट व्यवस्था के प्रमुख कार्य सरकार अपने आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति बजट व्यवस्था के माध्यम से करती है मसग्रेव के अनुसार बजट व्यवस्था सामान्यतया तीन कार्य से संबंध रखती यह तीन कार्य निम्नलिखित हैं-
आवंटन कार्य -इसके अंतर्गत सार्वजनिक वस्तुओं एवं निजी वस्तुओं के बीच तथा सीमित संसाधनों के आवंटन समायोजन किया जाता है
वितरणात्मक कार्य-इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था में आय एवं संपत्ति के वितरण में समायोजन स्थापित करने का प्रयास किया जाता है
स्थिरीकरण कार्य– इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था में आर्थिक उच्चावचनों पर नियंत्रण स्थापित करने का कार्य किया जाता है
मसग्रेव बजट पद्धति के उपरोक्त 3 कार्यों तक ही सीमित है परंतु विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का बजट स्वरूप भिन्न होता है उनकी की प्रमुख समस्या गरीबी तथा आर्थिक पिछड़ेपन की होती है अतः उनका लक्ष्य तेजी से आर्थिक विकास करना होता है इस तरह बजट व्यवस्था का चौथा कार्य आर्थिक विकास को गति प्रदान करना होता है।
सार्वजनिक अथवा सामाजिक वस्तु –
सामाजिक वस्तुएं सार्वजनिक आवश्यकताओं की संतुष्टि करती हैं उनके लाभ से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता अर्थात इन वस्तुओं के संबंध में अपवर्जन सिद्धांत लागू नहीं होता उदाहरण -सड़क, रेल, पुल, सुरक्षा, सेवाएँ आदि। इनके उपभोग का बंटवारा नहीं किया जा सकता सार्वजनिक वस्तुओं का उत्पादन सरकार द्वारा किया जाता है।
निजी वस्तुएं
public finance निजी वस्तुएं वे वस्तु है जिसे कीमत प्रणाली अथवा बाजार व्यवस्था के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है निजी वस्तुएं विभाज्य होती है निजी वस्तुओं के संबंध में अपवर्जन सिद्धांत लागू होता है जिन व्यक्तियों में निजी वस्तुओं को प्राप्त करने की योग्यता एवं क्षमता होती है वही उनका उपयोग एवं उपभोग कर सकते हैं निजी वस्तुओं का उत्पादन बाजार सिद्धांत तथा व्यावसायिक दक्षता के आधार पर होता है निजी वस्तुओं के संबंध में बाजार में उचित मूल्य पर ए तथा बी के मांग वक्र का क्षैतिज योग होगा
अर्थात
जहां की वस्तु के कुल बाजार मात्रा एवं उपभोक्ता उपभोक्ता भी है
सार्वजनिक वस्तुओं का उपयोग एक निश्चित स्तर पर सामूहिक तथा सबके द्वारा बराबर किया जाता है मान लीजिए सार्वजनिक वस्तु की कुल मात्रा जेड है जिसमें से एक उपभोक्ता का उपभोग जेड ए तथा बी उपभोक्ता का उपभोग जेड बी तब –
अपवर्जन सिद्धांत के लागू न होने के कारण सार्वजनिक वस्तु जेड एम आर वक्र कोजेड ए तथा जेड बी के ऊर्ध्वाधर योग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है इसे संलग्न चित्र द्वारा देखा जा सकता है। सार्वजनिक वस्तुओं के संबंध में उपभोक्ता का अभिमान ज्ञात नहीं किया जा सकता
मेरिट तथा उत्कृष्ट वस्तुएं
public finance-सरकार जिन वस्तुओं के उपयोग को जनहित में पढ़ाना चाहती है उनको गुणाधारित अथवा मेरिट वस्तुएं कहते हैं भक्तों ने जिन आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं या जीना शक्तियों की संतुष्टि करती हैं उनको गुण आधारित अथवा मेरिट आवश्यकताएं कहते हैं मेरिट वस्तुओं की पूर्ति उपभोक्ताओं के अधिमान में हस्तक्षेप पर आधारित होती है इन वस्तुओं के संबंध में उपभोक्ता के स्थान पर प्रत्यारोपित अभिमान होता है
उदाहरण के लिए मुखिया का दाम पर दी जाने वाली राशन की व्यवस्था कम लागत पर आवास की व्यवस्था आदि बजट द्वारा मेरे वस्तुओं की व्यवस्था समाज के किसी खास वर्ग के लिए की जाती है मेरिट वस्तुएं इसके प्राप्तकर्ता को प्रत्यक्ष रुप से लाभ पहुंचाती हैं साथ ही सम्मोहित लाभ का सृजन भी करती है मेरी बजट में निजी अथवा सार्वजनिक वस्तुएं हो सकती हैं तथा जिन की मांग तथा पूर्ति का निर्धारण व्यक्तिगत अधिमान से हो सकता है
इनकी मांग तथा पूर्ति को समाज संघ सरकार अथवा संस्थाओं के अभिमान भी प्रभावित कर सकते हैं जैसे- मेरिट अथवा गैर उत्कृष्ट वस्तुएं सरकार जिन वस्तुओं के उपयोग को समाज के लिए हानिकारक समझते हैं तथा उन पर रोक लगाती हैं उन वस्तुओं को गैर उत्कृष्ट अथवा गैर मेरिट वक्त में कहते हैं जैसे नशीली वस्तुओं के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सरकार इन वस्तुओं पर कर लगाती है