Table of Contents
what is hypothesis formulation?
- परिकल्पना का सूत्रीकरण क्या है?
- उपकल्पना से आप क्या समझते है?
- उपकल्पना से आप क्या समझते हैं इसके प्रकार एवं महत्व को समझाइए?
- सामाजिक अनुसंधान में उपकल्पना का क्या महत्व है?
- उपकल्पना के प्रकार
- उपकल्पना का महत्व
- उपकल्पना की विशेषताएं
- उपकल्पना का निर्माण
- उपकल्पना का निष्कर्ष
- उपकल्पना का प्रस्तावना
- उपकल्पना के स्त्रोत
- उपकल्पना का अर्थ
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expression of thesis
मनुष्य स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु है जब हम किसी घटना या तथ्यों का अवलोकन करते हैं तो मन में स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों हुआ या ऐसा ही क्यों हुआ कुछ और क्यों नहीं जिस घटना या वस्तु का वह अवलोकन करता है उसके बारे में व्याख्या निरूपण या स्पष्टीकरण चाहता है ।
जिसमें ज्ञात तथ्य सहायता करते हैं कुछ सामाजिक शोध में परिकल्पना नहीं भी की जाती या वह काफी देर के बाद प्रस्तावित किया जाता है ।
what is hypothesis formulation-सरल भाषा में कहा जाए तो एक शोधकर्ता को समस्या के समाधान का पूर्ण ज्ञान नहीं होता( अगर ज्ञान हो तो फिर शोध की आवश्यकता ही नहीं) वह उसके समस्या के बारे में एक शिक्षित अनुमान लगाना चाहता है जिसको उपकल्पना कहा जाता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपकल्पना दो या दो से अधिक चरों के बीच के परीक्षण योग्य समाधान को कहते हैं ।
परीक्षण योग का अर्थ यह है कि उपकल्पना में चरों के बीच संबंधों को दर्शाता हुआ कथन सत्य है या असत्य । इससे शोध को एक दिशा मिलती है ।
उपरोक्त चर्चा से परिकल्पना के निम्न विशेषताएं सामने आती हैं जो इस प्रकार हैं- यह एक अस्थाई कथन है । यह चारों के बीच तार्किक संबंध को स्थापित करने का प्रयास है । इस सोपान तक हम इसकी वैधता से अनभिज्ञ होते हैं । यह यथासंभव सरल होना चाहिए । इसका सामान्यीकरण संभव हो ।
परिकल्पना के मुख्य कार्य-
उपकल्पना का संबंध जनसंख्या या समष्टि की एक या एक से अधिक विशेषताओं से रहता है हालांकि किसी शोध के लिए उपकल्पना तैयार करना महत्वपूर्ण है लेकिन यह पूर्ण रूप से आवश्यक नहीं है । संपूर्णत वैध अनुसंधान किसी उपकल्पना को तैयार किए बिना भी आयोजित किया जा सकता है । सामान्य रूप में उपकल्पना का सूत्रीकरण निम्नलिखित कार्य करता है- यह शोध अध्ययन में स्पष्टता एवं विशिष्टता लाते हैं तथा उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं । यह न्यायदर्श अभिकल्प तैयार करने में सहायता करता है । यह अध्ययन को अधिक वस्तुनिष्ट बनाते हैं । इससे सिद्धांत विकसित करने में सहायता मिलती है ।
परिकल्पना के प्रकार-
वर्णनात्मक उपकल्पना-
यह कल्पना विशेषताओं का वर्णन करने के लिए तैयार की जाती है । उदाहरण के लिए भारत के शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की वर्तमान दर 15 है ।
सापेक्ष या संबंधपरक उपकल्पना-
यह दो चरों के बीच के संबंध को दर्शाती है । उदाहरण के लिए शहरी क्षेत्रों में रहने वाले माता- पिता अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक धन खर्च करते हैं ।
व्याख्यात्मक उपकल्पना-
इसमें दो चरों के बीच कारण और प्रभाव के संबंध की व्याख्या की जाती है । उदाहरण के लिए जब वेतन में वृद्धि होती है तो खाद्य वस्तुओं पर व्यय में भी वृद्धि होती है ।