अल्पाधिकार का अर्थ एवं परिभाषा / Meaning and Definitions of Oligopoly

अल्पाधिकार का अर्थ (Meaning of Oligopoly)

Meaning and Definitions of Oligopoly-अल्पाधिकार वह मार्केट स्थिति है जिसमें समरूप अथवा विभेदीकृत वस्तुएं बेचने वाली थोड़ी सी फर्म में होती हैं Oligopoly मार्केट में फर्मों की निश्चित संख्या बताना कठिन है तीन-चार अथवा पांच फर्में हो सकती हैं इसलिए इसे अल्प के बीच प्रतियोगिता भी कहते हैं।

मार्केट में थोड़ी सी फर्में होने पर किसी एक की कार्यवाही दूसरे को प्रभावित कर सकती है एक अल्पाधिकार उद्योग या तो समरूप अथवा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं उत्पादित कर सकता है।

पहली किस्म को शुद्ध अथवा पूर्ण अल्पाधिकार और दूसरी को अपूर्ण अथवा विभेदीकृत अल्पाधिकार कहते हैं, शुद्ध अल्पाधिकार मुख्य तौर से ऐसी औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादों में पाई जाती है जैसे-

अल्मुनियम, सीमेंट, तांबा, स्टील, जस्ता, आदि अपूर्ण अल्पाधिकार ऐसी उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादों जैसे- कारों, सिगरेट, साबुन, टी.वी., रबर, टायर आदि में पाई जाती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो-

अल्पाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें समरूप अथवा निकट स्थानापन्न वस्तुओं का उत्पादन करने वाली बहुत थोड़ी सी प्रतियोगी फर्में होती हैं।

स्टोनियर तथा हेग के शब्दों में, “अल्पाधिकार एक तरफ एकाधिकार से भिन्न होता है जहां केवल एक ही विक्रेता होता है तथा दूसरी और पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता से भी भिन्न होता है जहां अनेक विक्रेता होते हैं।”

 अन्य शब्दों में, “Oligopoly में हम फर्मों के एक छोटे समूह का समावेश करते हैं।”

द्वयाअधिकार, अल्पाधिकार का सरलतम रूप है तथा उसमें अल्पाधिकार से संबंधित सभी मूलभूत प्रश्न उठाए जा सकते हैं। लोहा, इस्पात, सीमेंट, मोटर, रफ्रीजरेटर आदि उद्योग अल्पाधिकार के अच्छे उदाहरण हैं।

Meaning and Definitions of Oligopoly

अल्पाधिकार की परिभाषा (Definitions of Oligopoly)

 

प्रो. लेफ़्टविच के अनुसार-

“बाजार की उस दशा को अल्पाधिकार कहा जाता है जिस में थोड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं तथा प्रत्येक विक्रेता की क्रियाएं दूसरे विक्रेताओं के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।”

प्रो. मेयर्स के शब्दों में- 

“अल्पाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है कि प्रत्येक विक्रेता की पूर्ति बाजार कीमत पर समुचित प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक विक्रेता इस तथ्य से अवगत रहता है।”

श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार-

“अल्पाधिकार एकाधिकार तथा पूर्ण प्रतियोगिता के बीच की स्थिति होती है जिसमें विक्रेताओं की संख्या 1 से अधिक होती है परंतु इतनी अधिक नहीं होती की बाजार कीमत पर किसी एक के प्रभाव को नगण्य बना दे।”

 

 अल्पाधिकार की विशेषताएं-

बाजार की Oligopoly दशा के विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

 विक्रेताओं की अल्प संख्या-

अल्पाधिकार में फर्मों अथवा विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है विक्रेताओं की संख्या कम होने के कारण प्रत्येक विक्रेता का वस्तु की कुल पूर्ति के एक बड़े भाग पर नियंत्रण होता है जिसके कारण वह बाजार में वस्तु की कीमत को प्रभावित करने की स्थिति में होता है और एक विक्रेता की उत्पादन नीति व कीमत नीति का प्रभाव अन्य प्रतियोगी विक्रेताओं की नीतियों पर डालता है।

परस्पर निर्भरता-

Oligopoly उद्योग की फर्मों में परस्पर निर्भरता होती है प्रत्येक फर्म की कीमत उत्पादन नीति का अन्य फर्मों की कीमत उत्पादन संबंधी नीति पर प्रभाव डालता है, क्योंकि अल्पाधिकार में वस्तुएं एक दूसरे की अच्छी स्थानापन्न होती हैं। उनकी मांग की प्रतिलोच ऊंची होती है एक फर्म की चाल की प्रतिक्रिया दूसरे फर्मों द्वारा कीमत, उत्पादन अथवा  विज्ञापन के माध्यम से व्यक्त की जाती है।

 

विज्ञापन एवं विक्रय लागतें

अल्पाधिकार में उद्योग की सभी फर्में में बाजार पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए विज्ञापन एवं विक्रय सम्वर्धन पर बहुत अधिक धनराशि व्यय करती हैं सच तो यह है कि अल्पाधिकार में फर्मों का अस्तित्व ही उनके द्वारा किए गए विज्ञापन या प्रचार पर निर्भर करता है।

जैसा कि प्रो. बामोल ने संकेत किया है, “अल्पाधिकार में विज्ञापन जीवन एवं मरण का विषय बन सकता है।” अतः यदि एक अल्पाधिकार अपनी वस्तु का विज्ञापन एवं प्रचार करता है तो दूसरे भी अपनी बिक्री को बनाए रखने के लिए उनका अनुसरण करेंगे कार, टायर, सिगरेट, फ्रीज, शीतल पेय और अन्य दूसरी वस्तुओं का विज्ञापन इस बात का उदाहरण है।

 

समरूप अथवा भेदित वस्तु-

अल्पाधिकार में फर्में समरूप (बिल्कुल एक जैसी) अथवा भेदीकृत (निकट स्थानापन्न) वस्तुओं का उत्पादन कर सकती हैं अन्य शब्दों में, Oligopoly वस्तु-विभेद रहित अथवा वस्तु विभेद सहित हो सकता है।

 

उद्योग में फर्मों के प्रवेश में एवं बहिर्गमन में कठिनाई-

अल्पाधिकार की दशा में उद्योग में फर्मों का प्रवेश एवं बहिर्गमन कठिन होता है इसका कारण यह है कि अल्पाधिकार में फर्मों की संख्या कम होती है तथा सामान्यतया वे बड़े आकार की होती हैं।

अतः उनको स्थापित करने में भारी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता पड़ती है पुरानी फर्मों का अधिकांश कच्चे माल पर अधिकार रहता है वे अपने उत्पाद को पेटेंट आदि द्वारा सुरक्षित कर लेती हैं।

इससे नई फर्मों का उद्योग में प्रवेश कठिन होता है इसी तरह उद्योग की वर्तमान फर्में भारी पूंजी निवेश के कारण उद्योग को आसानी से नहीं छोड़ पाती हैं।

 

प्रतियोगिता एवं समूह व्यवहार-

अल्पाधिकार में सच्ची प्रतियोगिता देखने को मिलती है इसमें व्यक्तिगत हितों की रक्षा के लिए फर्में आपस में संघर्ष पर उतारू हो उठती हैं, तथा प्रतियोगी के विरुद्ध प्रतियोगी डटा रहता है। इसके साथ ही सामान्य हितों की रक्षा के लिए कभी-कभी अल्पाधिकारी समूह की फर्मे जिनमें परस्पर निर्भरता होती है परस्पर सहयोग भी करती हैं।

 

सामंजस्य-

अल्पाधिकार की एक विशेषता यह है कि इसमें फर्मों के आकार में सामंजस्य अथवा एकरूपता नहीं पाई जाती है फर्में आकार में एक दूसरे से भिन्न होती हैं कुछ फर्में बहुत बड़ी तो कुछ छोटे आकार की होती हैं जो विभिन्न वस्तुएं ही बनाती है यह अव्यवस्थित अथवा असंगति अथवा सामंजस्यहीनता की स्थिति कहलाती है।

 

सीमित कीमत नियंत्रण-

अल्पाधिकार में फर्मों की कम संख्या तथा पारस्परिक निर्भरता के कारण फर्म का वस्तु की कीमत पर नियंत्रण सीमित ही रहता है।

यदि कोई फर्म बिक्री बढ़ाने के लिए कीमतें कम करती हैं तो अन्य प्रतियोगी फर्में में भी ऐसा ही करेंगी अन्यथा अनेक ग्राहक उन्हें छोड़ देंगे।

इस दशा में कीमत युद्ध शुरू होगा जिससे सभी फर्मों को हानि उठानी पड़ेगी यदि कोई फर्में अपनी कीमत बढ़ाती है तो अन्य फर्में ऐसा नहीं करती हैं और उस फर्म की उद्योग से बाहर होने की संभावना बढ़ जाती है।

Meaning and Definitions of Oligopoly

कपट सन्धि या गुटबंदी

सभी फर्मे प्राय: कीमत युद्ध से बचना चाहती हैं अतः वह कीमत में परिवर्तन के लिए आपस में गुप्त समझौता कर सकती हैं ताकि किसी को हानि न हो इस तरह की गुटबंदी एकाधिकार जैसी दशाएं उत्पन्न कर सकती हैं।

Meaning and Definitions of Oligopoly

मांग वक्र की अनिश्चितता

एक अल्पाधिकारी फर्म का मांग वक्र अथवा औसत आगम(AR) वक्र अनिश्चित होता है। Oligopoly में फर्मों की परस्पर निर्भरता के कारण एक फर्म द्वारा यह ज्ञात करना बहुत कठिन होता है कि उसके द्वारा कीमत नीति में परिवर्तन करने पर उसके प्रतिद्वंद्वियों की क्या प्रतिक्रिया अथवा रणनीति होगी।

वे अपने कीमतों में परिवर्तन करेंगे अथवा नहीं और करेंगे तो कितना? इस तरह अल्पाधिकार में अन्य प्रतियोगी फर्मों के व्यवहार की जानकारी निश्चित रूप से नहीं हो पाती और विरोधी अनुमानों की एक जटिल व्यवस्था उत्पन्न हो जाती है जो मांग वक्र की अनिश्चितता का प्रमुख कारण होती है।

 

 कीमत स्थिरता-

कीमत स्थिरता अल्पाधिकार की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। अन्य शब्दों में अल्पाधिकार में कीमतें एक ही स्तर पर बनी रहती हैं, भले ही मांग अथवा पूर्ति की दशाओं में कितना भी परिवर्तन क्यों ना आ जाए।

 

एकाधिकारात्मक | एकाधिकारिक | एकाधिकृत प्रतियोगिता

अनिश्चितता की स्थिति में उपभोक्ता व्यवहार, बर्नोली परिकल्पना

अनिश्चितता की स्थिति में उपभोक्ता व्यवहार फ्रीडमैन-सेवेज परिकल्पना

मार्कोविज परिकल्पना-अनिश्चितता की स्थिति में उपभोक्ता व्यवहार

कॉबवेब प्रमेय | मकड़जाला मॉडल Cobweb Theorem

स्थैतिक, प्रावैगिक विश्लेषण में अंतर|difference static and dynamic analysis

प्रवैगिक आर्थिक विश्लेषण/dynamic economic analysis

स्थैतिक, प्रवैगिक विश्लेषण/Static and Dynamics  

measurement of government deficit (सरकारी घाटे की माप)

विशिष्ट या आंशिक संतुलन (partial-equilibrium)

माल्थसवाद तथा नव माल्थसवाद में अंतर(difference-between)

Analysis Indifference Curve (तटस्थता वक्र विश्लेषण)

अर्थशास्त्र के अध्ययन की पद्धतियां (Methods of Study of Economics)

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