बॉमोल का बिक्री अधिकतम मॉडल एवं उसकी श्रेष्ठता/ baumol model

अब तक फर्म के संतुलन के विश्लेषण में हमने यह मान्यता मानी थी कि उद्यमी अपने लाभ को सदैव अधिकतम करना चाहता है ऐसे ही उद्यमी को विवेकशील कहा गया था किंतु बॉमोल ने लाभ अधिकतम करने की मान्यता को चुनौती दी और बताया कि फर्म के लिए लाभ अधिकतम करना अंतिम उद्देश्य नहीं होता बल्कि फर्म का मुख्य प्रयास अपनी बिक्री को अधिकतम करना है।

दूसरे शब्दों में– बॉमोल के विचार में फर्म बिक्री को बढ़ा कर अपने कुल आगम को अधिकतम करने का प्रयास करती है। इसी कारण बॉमोल के लाभ अधिकतम करने की विचारधारा को आय अधिकतम सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है।

baumol model-बॉमोल की परिकल्पना में फर्म के लाभ उद्देश्य की पूर्ण उपेक्षा नहीं होती बल्कि यह कहा जा सकता है कि लाभ अधिकतमीकरण की तुलना में फर्म के लिए बिक्री अधिकतमीकरण अधिक महत्वपूर्ण है प्रो. बामोल अपनी बिक्री अधिकतमीकरण की परिकल्पना को अधिक युक्तिसंगत एवं यथार्थवादी बताते हैं उनके विचार में बिक्री अधिकतमीकरण में न्यूनतम लाभ प्राप्त होने की शर्त निहित है।

baumol model-प्रो. बामोल के विचार में उद्यमी सदैव अपनी बिक्री को बढ़ाने का प्रयत्न करता है किंतु उसके इस प्रयास में उसे एक न्यूनतम लाभ स्तर की प्राप्ति आवश्यक है ताकि वह उत्पादन क्रिया में क्रियाशील रह सके।

प्रो. बामोल उद्यमी के लिए इस न्यूनतम लाभ स्तर से अधिक की प्राप्ति की परिकल्पना नहीं करते तथा उनके विचार में इस लाभ स्तर की प्राप्ति को ध्यान में रखकर उद्यमी अपने कुल आगम को अधिकतम करने का प्रयास करता है इस न्यूनतम लाभ के स्तर में सदैव सभी फर्मों अथवा उद्योगों के लिए स्थिरता का होना आवश्यक नहीं है। यह लाभ स्तर भिन्न-भिन्न फर्मों के लिए भिन्न-भिन्न हो सकता है तथा आर्थिक समृद्धि और अवसाद की स्थितियों में न्यूनतम लाभ स्तर भी बदल जाता है।

इस प्रकार न्यूनतम लाभ स्तर को सामान्य रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता इस न्यूनतम लाभ स्तर के निर्धारण में अनेक तत्व महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं इनमें शेयरधारकों को दिया गया संतोषजनक लाभांश पुनर्विनियोग के लिए आवश्यक धनराशि वित्तीय सुरक्षा के लिए आवश्यक धनराशि आदि प्रमुख है।

बिक्री अधिकतम मॉडल: कीमत तथा उत्पादन निर्धारण

baumol model -द्वारा प्रस्तुत इस मॉडल की व्याख्या चित्र में की गई है चित्र में TR, TC तथा TP क्रमशः कुल आगम, कुल लागत तथा कुल लाभ को बताते हैं TR तथा TC वक्रों का अंतर विभिन्न उत्पादन स्तरों पर कुल लाभ(TP) को सूचित करता है। विभिन्न उत्पादन स्तरों पर कुल लाभ उस बिंदु पर TR एवं TC वक्रों के मध्य लंबवत दूरी द्वारा ज्ञात की जा सकती है।

उत्पादन की OX1मात्रा पर कुल लाभ (TP) अधिकतम है बिंदु R2 पर कुल आगम (TR) अधिकतम है जहां उत्पादन मात्रा OX3 है। OX3 उत्पादन मात्रा पर कुल लाभ KX3 के बराबर है जो उत्पादन मात्रा OX1 पर प्राप्त होने वाले कुल लाभ MX1 से कम है उत्पादन स्तर पर कुल लाभ की मात्रा कम होने पर भी प्राप्त कुल आगम (TR) अधिकतम है जिसे चित्र में R2X3 द्वारा दिखाया गया है।

 

 प्रो. बामोल के अनुसार फर्म OX3 उत्पादन स्तर पर उत्पादन करना चाहेगी क्योंकि इस उत्पादन स्तर पर अधिकतम कुल आगम के साथ-साथ कुल लाभ R2 X3 भी प्राप्त हो रहा है हम यह पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि अपनी बिक्री या आगम को अधिकतम करने के साथ-साथ एक न्यूनतम लाभ स्तर भी प्राप्त करना चाहेगी यदि फर्म के लिए न्यूनतम आय स्तर OP (=XE) के बराबर हो तो फर्म न्यूनतम स्तर प्राप्त करते हुए अधिकतम आगम OX उत्पादन स्तर पर प्राप्त कर पाएगी क्योंकि न्यूनतम लागत रेखा कुल वक्र TP को बिंदु E पर काटती है।

जो उत्पादन स्तर OX पर उपलब्ध है इस उत्पादन स्तर OX पर फर्म को कुल आगम R1X प्राप्त होगा जो कि अधिकतम कुल आगम R2X3 से कम है। किंतु न्यूनतम आय स्तर OP के साथ फर्म OX उत्पादन करते हुए अधिकतम आगम R1X ही प्राप्त कर सकती है। फर्म OX2 उत्पादन करके भी न्यूनतम लाभ स्तर को प्राप्त कर सकती है किंतु OX2 उत्पादन स्तर पर प्राप्त कुल आगम R3X2 है जो OX उत्पादन स्तर पर प्राप्त होने वाले कुल आगम R1X से कम है। अत: फर्म OX2 मात्रा का उत्पादन न करके OX मात्रा का उत्पादन करेगी जहां उसे न्यूनतम लाभ प्राप्ति के प्रतिबंध के साथ अधिकतम लाभ मिल रहा है उत्पादन मात्रा OX पर प्राप्त आगम R1X की सहायता से वस्तु की कीमत प्राप्त की जा सकती है।

स्पष्ट है कि OX उत्पादन स्तर पर कीमत स्तर OX1 उत्पादन स्तर की कीमत से कम है। इस प्रकार बामोल की बिक्री अधिकतम मॉडल में उत्पादन का स्तर तो बढ़ता है किंतु कीमत स्तर गिर जाता है।

 

प्रो. बॉमोल के मॉडल की श्रेष्ठता

1- जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं कि (baumol model) लाभ अधिकतमीकरण उत्पादन, बिक्री अधिकतमीकरण उत्पादन से कम होगा तथा लाभ अधिकतमीकरण मूल्य बिक्री अधिकतमीकरण मूल्य से अधिक होता है।

2- लाभ अधिकतम करने वाली फर्म की तुलना में प्रो. बॉमोल की बिक्री अधिकतम (baumol model) करने वाली फर्म अधिक वास्तविक है क्योंकि बॉमोल की फर्म स्थिर लागत के परिवर्तन का ध्यान रखती है लाभ अधिकतम करने की परिकल्पना में यह मान्यता है कि स्थिर लागत का परिवर्तन, उत्पादन स्तर को प्रभावित नहीं करता किंतु प्रो. बॉमोल की परिकल्पना में यह मान्यता है कि यदि अल्पकाल में स्थिर लागत में वृद्धि की जाती है तो बिक्री अधिकतम करने वाली फर्म कीमत को बढ़ाकर उत्पादन को घटा देगी इस स्थिति की व्याख्या चित्र में की गई है चित्र  में OP न्यूनतम लाभ स्तर को बताता है जिसे PR रेखा द्वारा दिखाया गया है। आरंभिक कुल लाभ वक्र TP0 पर न्यूनतम लाभ स्तर प्राप्त करते हुए फर्म OQ0 उत्पादन की बिक्री करेगी।

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अब यदि सरकार एक मुश्त कर के रूप में KT आकार का कर लगाती है जो फर्म के लिए स्थिर लागत की भांति होगा इसी स्थिर लागत के कारण फर्म का कुल लाभ वक्र TP1 हो जाता है जिस पर फर्म उसी न्यूनतम लाभ स्तर के साथ केवल OQ1 मात्रा की बिक्री कर रही है। कुल लाभ में परिवर्तन होने पर भी लाभ अधिकतमीकरण उत्पादन OQ पर ही स्थिर रहता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि बॉमोल की बिक्री अधिकतमीकरण की परिकल्पना वास्तविकता के अधिक निकट है।

3- प्रो. बॉमोल के अनुसार जब फर्में एक साथ एक से अधिक वस्तुओं का उत्पादन करती हैं तब बिक्री अधिकतम करने वाली फर्म कम लाभकारी आगतों तथा उत्पादनों को छोड़ सकती है जबकि लाभ अधिकतम करने वाली फर्म के लिए यह संभव नहीं।

4- लाभ अधिकतमीकरण की परिकल्पना में फर्म के व्यवहार को विवेकशील माना गया है जबकि वास्तविक व्यवहार में फर्म सदैव विवेकशील नहीं होती इसके विपरीत, बिक्री अधिकतम करने वाली फर्म सदैव न्यूनतम लाभ को प्राप्त करती हुई अपनी बिक्री को अधिकतम करने की चेष्टा के कारण संतोषजनक व्यवहार करती है।

 

 प्रो. बॉमोल की परिकल्पना की आलोचना

1― अर्थशास्त्री रोजेनबर्ज ने प्रो. बॉमोल की परिकल्पना की न्यूनतम लाभ स्तर की मान्यता के आधार पर आलोचना की। उनके अनुसार न्यूनतम लाभ स्तर का निर्धारण एक कठिन कार्य है जिसके लिए कोई वैज्ञानिक आधार प्रो. बॉमोल ने प्रस्तुत नहीं किया।

2― प्रो. बॉमोल की परिकल्पना अल्पाधिकारी फर्मों की वास्तविक कीमत-निर्भरता की वास्तविकता की उपेक्षा करती है।

3― प्रो. फर्गुसन एवं प्रो. क्रैप्स की बिक्री अधिकतमीकरण परिकल्पना को लाभ अधिकतमीकरण सिद्धांत का एक विकल्प मानते हैं उनके विचार में, अनेक विकसित विकल्पों में से बॉमोल की परिकल्पना को एक बड़ा लाभ प्राप्त है। यह वास्तविकता एवं सत्याभास की दिशा में पुराने मॉडलों का संशोधन करता है, साथ ही यह सामान्य वैज्ञानिक विश्लेषण को भी संभव बनाता है।

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