वायुमंडलीय दाब atmospheric pressure

 

atmospheric pressure पृथ्वी पर हवाओं का दबाव है यह पृथ्वी के धरातल पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण टिका है वह अपने भार के कारण पृथ्वी पर दबाव डालता है।

atmospheric pressure वायुमंडलीय दबाव का अर्थ किसी दिए गए स्थान तथा समय पर वहां की हवा के स्तंभ का भार है इसे बैरोमीटर में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने वाले बल के रूप में मापते हैं जलवायु वैज्ञानिकों ने इसके लिए मिलीवार को इकाई माना है।

एक मिली बार 1 वर्ग सेंटीमीटर पर 1 ग्राम भार का बल है 1000 मिली बार का वायुमंडलीय दबाव 1 वर्ग सेंटीमीटर पर 1.053 किलोग्राम भार है जो पारा के 75 सेंटीमीटर ऊंचे स्तंभ के बराबर होता है।

 जो समुद्र तल पर वायुदाब है बैरोमीटर के पठन में तेजी से गिरावट तूफानी मौसम का संकेत देती है बैरोमीटर के पठन का पहले गिरना फिर धीरे-धीरे बढ़ना वर्षा की स्थिति का द्योतक है बैरोमीटर में पठन का लगातार बढ़ना प्रति चक्रवर्ती और साफ मौसम का संकेत देता है।

atmospheric pressure वायुमंडलीय दाब के वितरण को समदाब रेखा (आइसोबार) के द्वारा दर्शाया जाता है यह कल्पित रेखा है जो समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती है समदाब रेखाओं की परस्पर दूरियां वायुदाब में अंतर की दिशा और उसकी दर को दर्शाती है जिसे दाब प्रवणता कहते हैं इसे बैरोमीट्रिक ढाल भी कहा जाता है आसपास स्थित शानदार रेखाएं तीव्र ढाल प्रवणता का संकेत करती हैं।

atmospheric pressure तापमान में अंतर हवा के घनत्व परिवर्तन से संबंधित है जो कि पृथ्वी पर तापमान का वितरण काफी असमान है इसी कारण वायुदाब का वितरण भी असमान है वायुदाब में अंतर के कारण हवा में क्षैतिज गति आती है इस क्षैतिज गति को पवन कहते हैं।

पवन ऊर्जा और आर्द्रता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करते हैं वृष्टि होने में मदद करते हैं इसलिए वायुमंडलीय दाब को मौसम के पूर्वानुमान का एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है।

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वायुमंडलीय दाब का वितरण 

ऊर्ध्वाधर वितरण 

 वायुमंडल की निचली परतो में हवा का घनत्व व वायुमंडलीय दाब अधिक होते हैं ऊंचाई के साथ हवा के दाब भी कमी आती है यद्यपि ऊंचाई के और वायुदाब के बीच सीधा संबंध नहीं होता फिर भी सामान्य रूप से क्षोभमंडल में वायुदाब घटने की औसत दर प्रति 300 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 34 मिलीबार है।

वायुमंडलीय दाब
वायुमंडलीय दाब

क्षैतिज अक्षांशीय वितरण

विषुवतीय निम्न

यह अत्यधिक निम्न वायुदाब का कटिबंध है यह तापजन्य निम्नदाब पेटी है इस कटिबंध में धरातलीय क्षैतिज पवन नहीं चलती क्योंकि इस कटिबंध की ओर जाने वाली पवन इसकी सीमाओं के समीप पहुंचते ही गर्म होकर ऊपर उठने लगती है परिणाम स्वरूप किस कटिबंध में केवल ऊर्ध्वाधर वायु धाराएं ही पाई जाती हैं वायुमंडलीय धाराएं अत्यधिक शांत होने के कारण इस कटिबंध को डोलड्रम या शांत कटिबंध कहते हैं।

उपोषण उच्च (23 ½ – 35 अंश N-S)

इसके निर्माण के लिए तापीय के साथ-साथ गति के कारण भी उत्तरदाई हैं विषुवतीय निम्न दाब क्षेत्र से ऊपर उठी हवाएं ऊपरी वायुमंडल में ध्रुव की ओर प्रवाहित होती हैं परंतु पृथ्वी के घूर्णन बल के कारण यह पूर्व की ओर विक्षेपित होने लगती हैं इस बल को सबसे पहले फ्रांसीसी वैज्ञानिक कोरियॉलिस ने बताया था इसी कारण इस फल का नाम कोरिओलिस बल पड़ा 

विषुवत रेखा से बढ़ती दूरी के साथ-साथ इस बल की मात्रा भी बढ़ती है परिणाम स्वरूप ध्रुव की ओर बढ़ने वाली वायु जब तक 25 अंश अक्षांश पर पहुंचती है तब तक इसकी दिशा में इतना अधिक विक्षेप हो चुका होता है कि यह पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होने लगती है एवं आगे आने वाली हवाओं के लिए और अवरोधक का कार्य करने लगती है जिसके परिणाम स्वरूप हवा वही ऊंचाई में जमा होने लगती है।

 हवा के क्रमशः ठंडा होने पर इसका घनत्व बढ़ता जाता है एवं भार बढ़ने के कारण हवा वही नीचे उतरने लगती है। 

इस प्रकार कर्क और मकर रेखाओं तथा 35अंश उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उच्च वायुदाब कटिबंध का निर्माण हो जाता है। अत्यधिक क्षीण व परिवर्तनशील पवनों के कारण यहां वायुमंडल बहुत शांत रहता है इस वायुमंडल कटिबंध को अश्व अक्षांश भी कहा जाता है।

क्योंकि पुराने जमाने में घोड़ों को लेकर जाने वाली नौकाओं को यहां की शांत वायुमंडलीय दशाओं के कारण काफी कठिनाई होती थी एवं नौकाओं का भार हल्का करने के लिए घोड़ों को कभी-कभी समुद्र में भी फेंकना पड़ता था इसलिए इस कटिबंध का  नाम अश्व अक्षांश पड़ा।

 उपध्रुवीय  निम्न (45 – 66 ½ अंश N-S)

इसके निर्माण में भी गति के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है उपोष्ण कटिबंध और ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली वायु क्रमसा 45 अंश उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश तथा अटलांटिक आर्कटिक दोनों के मध्य परस्पर टकराती है एवं ऊपर उठ जाती है जिससे यहां निम्न दाब क्षेत्र का निर्माण होता है वह चक्रवाती आंधियां आती हैं।

 

 ध्रुवीय उच्च (उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के निकट)

 अत्यधिक निम्न तापमान के कारण यहां वायुमंडल की ठंडी व भारी हवाएं सतह पर उतरती हैं परिणाम स्वरूप उच्च वायुदाब क्षेत्र का निर्माण होता है वायुदाब कटिबंध की स्थिति स्थिर नहीं है यह वायुदाब कटिबंध सूर्य के आभासी संचरण के कारण गर्मियों में उत्तर की ओर एवं सर्दियों में दक्षिण की ओर खिसकते रहते हैं।

सूर्यातप की मात्रा में असमानता एवं जल व स्थल का समान रूप से गर्म होना भी इनकी स्थिति को प्रभावित करते हैं समानता स्थलीय भागों में उच्च दाब क्षेत्रों में तथा निम्न दाब क्षेत्र गर्मियों में अधिक प्रभावी रहते हैं ।

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