संघीय वित्त के सिद्धांत principles of federal finance

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principles of federal finance इस प्रकार संघीय वित्त से अभिप्राय उन सिद्धांतों से होगा जिनका प्रयोग केंद्रीय तथा राज्य सरकारें अपनी वित्तीय क्रियाओं को पूरा करने के लिए करती हैं।

डॉ आर. एन. भार्गव के अनुसार “संघीय वित्त से अभिप्राय संघ तथा राज्य सरकारों के वित्त तथा उन दोनों के बीच संबंध से है”।

केंद्रीय तथा राज्य सरकारें अपनी वित्तीय में राजस्व के सिद्धांत का प्रयोग करती हैं अर्थात यह प्रयास करती हैं कि कर तथा व्यय को इस प्रकार से संबंधित किया जाए जिससे शुद्ध सामाजिक कारण अधिकतम हो सके।

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डॉ. भार्गव 

principles of federal finance  डॉ. भार्गव का कहना है कि यदि राजस्व के ही सिद्धांत का अनुसरण करें तो भी यह कोई आवश्यक नहीं है कि उनके संयुक्त रूप से कार्य करने पर जो फल मिलेगा अलग-अलग राज्यों के प्राप्त परिणामों के योग के बराबर हो।

क्योंकि किसी भी संघ के सभी राज्य आर्थिक समृद्धि की दृष्टि से समान नहीं होते कोई क्षेत्र धनी तथा विकसित हो सकता है तो कोई निर्धन तथा अल्पविकसित यह आवश्यक नहीं है कि कर के लगाने से क्षेत्र में जो सीमांत त्याग होगा दूसरे क्षेत्र में कर के लगाने से होने वाले सीमांत त्याग के बराबर हो तथा इसी प्रकार सरकार जो व्यय करती है। उससे होने वाला सीमांत कल्याण भी दूसरे क्षेत्र में होने वाले सीमांत कल्याण के बराबर हो।

principles of federal finance यह भी आवश्यक नहीं प्रत्येक क्षेत्र अपने वित्तीय क्रियाएं तो इस प्रकार से करेगा कि उसके राज्य में कर से सीमांत त्याग =व्यय से होने वाला सीमांत कल्याण।

संघीय वित्त के अंतर्गत सबसे प्रमुख समस्या केंद्र तथा विभिन्न राज्य के बीच आय के स्रोतों को बांटने तथा कार्यों के विभाजन की है शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्र तथा राज्यों के बीच कार्यों का बंटवारा होता है तथा इन कार्यों को पूरा करने के लिए आय का बंटवारा आवश्यक हो जाता है।

principles of federal finance आय के वितरण की सबसे उचित विधि यह है कि प्रत्येक राज्य को उनकी आवश्यकता के अनुसार आय प्राप्त हो जाए पर ऐसा होना संयोग मात्र ही होगा।

 विभिन्न राज्यों के आय वितरण की समस्या अत्यंत ही कठिन है और इसके संबंध में कोई निश्चित सिद्धांत तो नहीं है जिसके आधार पर केंद्र तथा राज्यों के बीच कार्य तथा साधनों का बंटवारा हो सके पर कुछ निर्देशक तत्व बताए जा सकते हैं जिनको पालन करने पर समस्या कुछ सरल हो जाएगा तथा संघीय वित्त प्रणाली संतोषजनक ढंग से कार्य कर सकेगी।

कुशलता का सिद्धांत 

सिद्धांत का अभिप्राय यह है कि विभिन्न राज्यों को वे ही आय के स्रोत दिए जाने चाहिए जिन्हें वसूल करने में वे सबसे कुशल हो। 

कर के कारण जनता को त्याग करना पड़ता है, यदि ऐसा कर किसी राज्य को इकट्ठा करने के लिए दे दिया जाए जिसमें वह कुशल न हो तो उसकी कुशलता के कारण वसूली का व्यय बढ़ेगा फल स्वरुप जनता का त्याग बढ़ेगा कुशलता की दृष्टि से आय के स्रोत को तीन भागों में बांटा जा सकता है–

  1. ऐसे आय के स्रोत जिनसे केंद्रीय सरकार आय ले
  2. राज्य सरकारों के आय स्रोत
  3. समवर्ती स्रोत जिनसे केंद्रीय तथा राज्य दोनों सरकार आय प्राप्त कर सके।

 उन स्रोतों को जिनके संबंध में राज्य सरकारों को अधिक जानकारी प्राप्त हो तथा जिनके संबंध में ये अधिक कुशल हो राज्य सरकारों के अंतर्गत कर देना चाहिए तथा ऐसे आय के स्रोत जो केंद्र की दृष्टि से अधिक उपयुक्त है जैसे नोटों के निर्गमन से आय उन्हें केंद्रीय सरकार के अंतर्गत कर देना चाहिए।

पर्याप्तता का सिद्धांत

 यह सिद्धांत इस मान्यता पर आधारित है कि प्रत्येक सरकार को कम से कम इतनी आय प्राप्त होनी चाहिए जिससे उसकी आवश्यकता की पूर्ति हो सके।

कुशलता के ही सिद्धांत के आधार पर यदि आय के स्रोतों का विभाजन कर दिया जाए तो आय के स्रोतों का बहुत बड़ा भाग कुछ ही राज्यों को मिल सकेगा फल  स्वरुप बहुत से राज्यों को उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आय नहीं मिल पाएगी अतः पर्याप्तता के सिद्धांत का पालन भी आवश्यक है। 

इस आधार पर आय के स्रोतों को निम्नलिखित भागों में बांटना चाहिए–

ऐसे आय के स्रोत जिन्हें केंद्र को पर्याप्त आय प्राप्त हो सके ऐसे आय के स्रोत जिनसे राज्यों को पर्याप्त आय प्राप्त हो सके,

कुछ ऐसे आय के स्रोत जिनसे प्रयोग आकस्मिक परिस्थितियों में वित्तीय संतुलन को ठीक करने के लिए किया जा सके।

एकरूपता का सिद्धांत 

एकरूपता का सिद्धांत इस धारणा पर आधारित है कि संघीय शासन व्यवस्था एक पारिवारिक शासन व्यवस्था है जिसमें विभिन्न राज्य उस परिवार के विभिन्न सदस्य हैं तथा केंद्र उस परिवार का प्रधान या मुखिया है।

 जिस प्रकार से मुखिया का अपने परिवार के सदस्यों के साथ समान व्यवहार रहता है उसी प्रकार केंद्र का विभिन्न राज्यों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए पर यदि सिद्धांत का कठोरता से पालन किया जाए तो पिछड़े क्षेत्रों को उचित सहायता न मिल पाएगी क्योंकि इन क्षेत्रों को विकसित क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक सहायता चाहिए।

वित्तीय स्वायत्तता का सिद्धांत 

राज्य तथा केंद्रीय सरकार परस्पर संबंधित अवश्य है पर प्रत्येक सरकार को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए अर्थात प्रत्येक सरकार को आय प्राप्त करने तथा उसे व्यय करने की पूर्ण स्वतंत्रता मिलनी चाहिए प्रत्येक के पास कुछ ऐसे आय के स्रोत अवश्य होने चाहिए जिस पर स्वतंत्र रूप से उसका अधिकार हो किसी का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

 

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