सीमितता लगान Scarcity Rent | भेदात्मक लगान Differential Rant 

 

 रिकार्डो के अनुसार दो प्रकार का लगान उत्पन्न होता है 

  1. सीमितता का लगान
  2.  विभेदात्मक लगान 

सीमितता का लगान सिद्धांत –Scarcity Rent 

सीमितता का लगान सिद्धांत स्पष्ट करने के लिए प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रिकॉर्डो भूमि के सभी उपलब्ध भूखंडों की उर्वरता में समानता की मान्यता लेकर चलते हैं। भूमि का प्रयोग केवल अनाज उगाने में ही नहीं किया जाता।

 दूसरे शब्दों में भूमि का कोई अन्य वैकल्पिक योग संभव नहीं है जब तक भूमि की अतिरिक्त इकाइयां उपलब्ध है तब तक अनाज की कीमत औसत लागत के बराबर होगी तथा कोई अतिरेक उत्पन्न नहीं होगा।

 रिकार्डो ने अनाज बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की अवधारणा मानी है पूर्ण प्रतियोगिता की दशा में दीर्घकालीन संतुलन उस बिंदु पर होगा जहां औसत लागत वक्र अपने निम्नतम बिंदु पर कीमत रेखा को स्पर्श करता है।

Scarcity Rent

 

चित्र में इसी स्थिति की व्याख्या की गई है दीर्घकालीन संतुलन बिंदु E पर होगा जहां 

AR=MR=LAC=LMC 

इस दशा में अनाज का मूल्य OP निर्धारित होगा बिंदु E पर कोई अतिरेक प्राप्त नहीं हो रहा है।

 जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण अनाज की मांग बढ़ती है अतिरिक्त भूखंड पर खेती आरंभ होती जाती है जब तक अतिरिक्त भूखंड प्रयोग के लिए उपलब्ध होंगे तब तक अनाज की कीमत औसत लागत के बराबर होगी तथा कोई अतिरेक उत्पन्न नहीं होगा।

 अतिरिक्त भूखंड के प्रयोग से अनाज की पूर्ति को बढ़ी हुई मांग के साथ समायोजित किया जा सकता है जिसके परिणाम स्वरूप अनाज का आरंभिक कीमत स्तर OP स्थिर रहता है।

 दूसरे शब्दों में जब तक भूमि की पूर्ति स्थिर या सीमित नहीं होती तब तक अतिरिक्त भूमि को प्रयोग में लाकर अनाज की कीमत को स्थिर रखा जा सकता है इस प्रकार जब तक भूमि के अतिरिक्त भूखंड उपलब्ध हैं अर्थात भूमि सीमित नहीं है तब तक कोई अतिरेक उत्पन्न ना होने के कारण किसानों को कोई लागत नहीं देना पड़ेगा।

अब यदि समस्त भूखंडों का पूर्ण उपयोग हो जाने के बाद भी जनसंख्या में वृद्धि होती है तब ऐसी दशा में अतिरिक्त मांग को, अनाज की पूर्ति को बढ़ाकर पूरा नहीं किया जा सकता क्योंकि संपूर्ण भूमि का उपयोग पहले ही हो चुका है ऐसी दशा में भूमि की सीमितता अनाज की कीमत को बढ़ाएगी तथा अनाज की कीमत एवं औसत लागत में एक अंतर उपस्थित हो जाएगा।

सीमितता लगान Scarcity Rent | भेदात्मक लगान Differential Rant

Scarcity Rent इस प्रकार प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रिकार्डों के अनुसार लगान उत्पादन लागत के ऊपर आधिक्य है जो भूमि की सीमितता  के कारण उत्पन्न हुआ है।

भेदात्मक लगान–Differential Rant 

 भेदात्मक लगान की व्याख्या में रिकार्डो इस पूर्व मान्यता को लेकर चलते हैं कि एक द्वीप में अनेक ऐसे भूखंड हैं जिनकी उर्वरता, गुण, स्थिति आदि में एक समानता न होकर भिन्नता होती है, उन भूखंडों को उर्वरता, गुण तथा स्थिति के आधार पर विभिन्न श्रेणी वाले भूखंडों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

 सर्वोत्तम श्रेणी की भूमि की उर्वरता सर्वाधिक होती है जहां श्रम एवं पूंजी की एक निश्चित मात्रा में अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है।

 इस प्रकार से उर्वरता के आधार पर भूखंडों का सर्वोत्तम श्रेणी से लेकर निम्नतम श्रेणी तक विभाजन किया जा सकता है।

स्थानापन्न वस्तु/substitute goods

 रिकार्डो ने निम्नतम उर्वरता वाली भूमि को सीमांत भूमि के रूप में परिभाषित किया ।

निम्नतम उर्वरता वाली भूमि से श्रेष्ठ भूमियों को रिकार्डो ने अधिसीमांत भूमि का नाम दिया

 सीमांत भूमि पर कोई अतिरेक उत्पन्न नहीं होता क्योंकि इस भूमि पर प्राप्त आगम खेती की लागत के बराबर होता है।

अपूर्ण प्रतियोगिता/कीमत नेतृत्व मॉडल/imperfect competition

 अधिसीमांत भूमियां सीमांत भूमि की तुलना में अतिरेक उत्पन्न करती हैं क्योंकि अधिसीमांत भूमि पर प्राप्त आगम खेती की लागत से अधिक होता है।

 दूसरे शब्दों में सीमांत भूमि के उत्पादन की तुलना में अधिसीमांत भूमि पर जो अतिरेक प्राप्त होता है वह Differential Rant –भेदात्मक लगान है।

 इस प्रकार–

(Differential Rant)

भेदात्मक लगान= अधिसीमांत भूमि की उत्पादकता – सीमांत भूमि की उत्पादकता

Differential Rant
Differential Rant

सीमितता लगान Scarcity Rent | भेदात्मक लगान Differential Rant

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *