imperfect competition

अपूर्ण प्रतियोगिता/कीमत नेतृत्व मॉडल/imperfect competition

imperfect competition/imperfect-price-leadership-model

अल्पाधिकार में फर्मों का पूर्व गठबंधन कीमत नेतृत्व के आधार पर होता है कीमत नेतृत्व में उद्योग की सभी फर्में एक चुनी गई फर्म के द्वारा निर्धारित मार्ग का अनुसरण करती हैं इस प्रकार गठबंधन में यह समझौता होता है कि फर्में उद्योग की नेता फर्म द्वारा निर्धारित कीमत पर अपनी अपनी वस्तुएं बेचेंगे कीमत नेतृत्व निम्नलिखित दो प्रकार का हो सकता है।

imperfect-price-leadership-model

स्थितिमान कीमत नेतृत्व –

कम लागत फर्म मॉडल

 इस प्रकार के नेतृत्व में फर्म का आकार सबसे बड़े आकार का होना आवश्यक नहीं होता बल्कि फर्म अपनी बुद्धिमत्ता के आधार पर कीमत तथा लागत का हिसाब लगाकर कीमत नीति की घोषणा कर देती है गुप्त समझौते के अनुसार कार्टेल की अन्य सभी फर्में उसका अनुसरण करने लगती हैं इस प्रकार कार्टेल की न्यूनतम लागत वाली फर्में कार्टेल का नेतृत्व प्राप्त कर लेती हैं –

मान्यताएं

कम लागत फर्म मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है –

 A और B दो फर्में हैं 

उनकी लागतें भिन्न है A कम लागत फर्म है और B उच्च लागत फर्म है।

 उनके समरूप मांग और MR वक्र हैं उनका मांग वक्र बाजार मांग वक्र का एक बटे दो (½) है।

 क्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी है।

 बाजार (उद्योग) मांग वक्र की दोनों फर्मों की जानकारी है।

 

 मॉडल

 उपरोक्त मान्यताओं के आधार पर दोनों फर्में एक गुप्त समझौता करती है जिसके अनुसार उच्च लागत वाली फर्म कीमत नेता फर्म द्वारा निश्चित की गई कीमत का अनुसरण करेंगीऔर बाजार को सामान रूप से बांटेगी

दोनों फर्में जिस कीमत नीति का अनुसरण करेंगी उसे चित्र में प्रदर्शित किया गया है

चित्र में दोनों फर्में एक समान मांग वक्र Dd का सामना करती हैं पहली फर्म के सीमांत लागत तथा औसत लागत वक्र क्रमशः SMC1 तथा SAC1 तथा दूसरी फर्म के क्रमशः SMC2 तथा SAC2 दिखाए गए हैं।

फर्म 2 ऊंची लागत वाली फर्म है अतः फर्म 1 बाजार एवं कार्टेल का नेतृत्व करती है प्रत्येक फर्म के लिए सीमांत आगम रेखा MR है कम लागत वाली पहली फर्म OP1 कीमत पर OQ1 मात्रा का उत्पादन करेगी जबकि ऊंची लागत वाली दूसरी फर्म OP2कीमत पर OQ2 मात्रा का उत्पादन करेगी ऐसी दशा में यदि दूसरी फर्म OP2 कीमत पर ही स्थिर रहना चाहेगी तो वह अपना विक्रय पूर्ण रूप से खो देगी अतः बाध्य होकर फर्म 2 को कम लागत वाली फर्म का नेतृत्व स्वीकार करते हुए अपनी कीमत भी OP1 पर ही निर्धारित करनी पड़ती।

स्थानापन्न वस्तु/substitute goods

 प्रधान फर्म कीमत नेतृत्व मॉडल

 

 कीमत नेतृत्व की एक विशिष्ट स्थिति वह होती है जहां उद्योग की एक बड़ी फर्म प्रधान होती है तथा कई छोटी फर्में पाई जाती हैं प्रधान फर्म समस्त उद्योग के लिए कीमत निर्धारित कर देती है और छोटी उद्योग फर्में जितना चाहे वस्तु का उतना विक्रय कर सकती हैं। शेष बाजार को प्रधान फर्म स्वयं पूरा करती है। अतः प्रधान पर फर्म ऐसी कीमत चुने की जिसमें सबको अधिक लाभ हो। 

 

मान्यताएं

प्रधान फर्म मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है । 

अल्पाधिकारात्मक उद्योग में एक बड़ी प्रधान फर्म तथा अनेक छोटी फर्मे हैं।

 प्रधान फर्म बाजार कीमत का निर्धारण करती है।

अन्य सभी फर्में विशुद्ध प्रतियोगी की तरह कार्य करती हैं। और वे एक निर्धारित कीमत को स्वीकार करती हैं।

केवल प्रधान फर्म ही बाजार मांग वक्र का अनुमान लगा सकती है। 

  प्रधान फर्म अपने द्वारा निर्धारित की गई कीमत पर अन्य फर्मों की पूर्तियों का पूर्वानुमान लगा सकती है। 

 

मॉडल

 उपर्युक्त मान्यताओं के आधार पर चित्र में प्रधान फर्म कीमत नेतृत्व मॉडल की व्याख्या को प्रदर्शित किया गया है।

प्रधान फर्म द्वारा निर्धारित कीमत को उद्योग या अन्य फर्में पूर्ण प्रतियोगिता की भांति उसे दिया हुआ मानकर अपना उत्पादन स्तर निर्धारित करती हैं। 

दूसरे शब्दों में फर्मों के लिए मांग की लोच पूर्णतया लोचदार होती है। फर्में प्रधान फर्म द्वारा दी गई कीमत के साथ उस बिंदु पर अपना उत्पादन निर्धारित करेंगी जहां सीमांत लागत तथा सीमांत आगम परस्पर बराबर हो जाएं। 

उद्योग की फर्में (प्रधान फर्म को छोड़कर) प्रतियोगिता की भांति व्यवहार करती हैं जिसके कारण उनका पूर्ति वक्र उनकी सीमांत लागत वक्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है सभी छोटी फर्मों का सामूहिक पूर्ति वक्र उनके सीमांत लागत वक्रों के क्षैतिज योग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। 

चित्र में यह वक्र £SMC द्वारा दर्शाया गया है बाजार का मांग वक्र DD यह बताता है कि विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ता वस्तु की कितनी मात्रा खरीदने को तैयार है £SMC वक्र विभिन्न कीमतों पर छोटी फर्मों द्वारा की गई कुल पूर्ति को बताता है इस प्रकार स्पष्ट है कि विभिन्न कीमतों पर DD तथा £SMC का अंतर प्रधान फर्म द्वारा की जा रही पूर्ति को बताता है चित्र में P1d प्रधान फर्म का मांग वक्र है। 

imperfect competition

जब प्रधान फर्म OP1 कीमत निर्धारित करती है तो इस उचित कीमत पर छोटी फर्मों की ओर से पूर्ति अधिकतम है।  क्योंकि OP1 कीमत  पर बाजार की कुल मांग P1A है जो छोटी फर्मों द्वारा पूरी तरह से उपभोक्ता को दी जा रही है।  इस दशा में प्रधान फर्म की पूर्ति शून्य है यदि प्रधान फर्म की कीमत OP2 हो जाती है तब इस कीमत पर P2A2 छोटी फर्मों द्वारा पूर्ति की जाएगी तथा बाजार की शेष मांग A2B प्रधान फर्म पूरी करेगी । 

प्रधान फर्म का मांग वक्र ज्ञात करने के लिए बिंदु C2 इस प्रकार चुना जाता है कि P2C2 = A2B अब दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि OP3 कीमत पर प्रधान फर्म पूर्ति प्रदान करेगी । 

इसी प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है की कीमत OP3 पर प्रधान फर्म P3d वस्तु की मांग को पूरा करेगी इस प्रकार P1dd प्रधान फर्म का मांग वक्र बन जाता है। इस मांग वक्र से संबंधित प्रधान फर्म के सीमांत आगम वक्र को MRd द्वारा चित्र में दिखाया गया है। 

प्रधान फर्म को उस बिंदु पर अधिकतम लाभ की प्राप्ति होगी जहां SMCd=MRd। चित्र में यह स्थिति बिंदु E पर दिखाई गई है।

इस कीमत OP3पर बाजार के कुछ मांग OQ है जिसमें से OMd प्रधान फर्मों द्वारा तथा OMs छोटी फर्मों द्वारा उत्पादित एवं बिक्री की जाएगी।

 गणितीय भाषा में,

OQ= OMd (अथवा MsQ)+OMs

कुल मांग = प्रधान फर्म द्वारा पूरी की गई मांग 

+ छोटी फर्मों द्वारा पूरी की गई मांग

 यदि प्रधान फर्म वस्तु कीमत OP4 से कम निर्धारित कर दे तो छोटी फर्में बाजार की मांग का कोई भी भाग पूरा नहीं कर पाएगी तथा उनकी पूर्ति शून्य हो जाएगी।

 दूसरे शब्दों में वस्तु की कीमत OP4 से कम निर्धारित होने पर बाजार की संपूर्ण मांग प्रधान फर्म द्वारा ही पूरी हो जाएगी।

 प्रधान फर्म नीची कीमत का निर्धारण करके छोटी फर्मों को उत्पादन से बाहर कर देती है

कीमत नेतृत्व तभी सफल हो सकता है जब कोई फर्म गैर मूल्य प्रतियोगिता का सहारा लेकर विज्ञापन आदि न करे विज्ञापन एवं प्रचार की दशा में कीमत नेतृत्व टूट जाता है।

कीमत नेतृत्व तभी सफल हो सकता है जब कोई फर्म गैर मूल प्रतियोगिता का सहारा लेकर विज्ञापन आदि न करे विज्ञापन एवं प्रचार की दशा में कीमत नेतृत्व टूट जाता है। 

 

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